बेवफ़ाई की हद तक
तू सितम कर, तेरी जिद जहाँ तक है,
मैं सहूँगी तेरा दर्द सारा, मेरी जान जहाँ तक है।
न कोई गिला, न कोई शिकायत तुझसे,
बस मोहब्बत निभाऊँगी, मेरी साँस जहाँ तक है।
तेरी बेरुख़ी को भी अपना मुकद्दर माना,
हर ज़ख़्म सहा, तेरा इख़्तियार जहाँ तक है।
शिकवा नहीं तेरा यूँ छोड़ जाने का,
बस ग़म है, कि मैं ज़िंदा रही, मेरी शाम जहाँ तक है।
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