अधूरी हसरत
बड़ी हसरत थी तेरे संग ज़िंदगी बिताने की,
हर लम्हा तुझे अपना बनाने की।
तेरे साथ हँसने, तेरे साथ रोने की,
तेरी बाहों में सुकून से सोने की।
मगर तक़दीर को यह मंज़ूर ना था,
हमसफ़र तुझे बनाने का हक़ मुझे ना था।
अब बस तेरी यादों का सहारा है,
एक अधूरी मोहब्बत का किनारा है।
Comments
Post a Comment