मोहब्बत या ज़रूरत


मैंने चाहा तुझे, यह मेरी चाहत थी,
तूने चाहा मुझे, तेरी ज़रूरत थी।

मैंने देखा तुझमें इक हसीं ख्वाब था,
तेरी आँखों में बस एक राहत थी।

मैंने दिल में तेरा ही अफसाना लिखा,
तूने लफ्ज़ों में मेरी हिकायत थी।

मैंने दर्द भी तेरा अपना समझा,
तूने याद भी मेरी आदत थी।

अब फ़ासले हैं, कोई शिकवा नहीं,
मेरी चाहत तो थी, पर तेरी हसरत थी।

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