बेबसी का आलम


मेरी बेबसी का आलम ऐसा है,
चाहती हूँ तुझसे, पर जता नहीं सकती।

तेरे बिना जीना कितना मुश्किल है,
यह दर्द भी तुझे बता नहीं सकती।

हर साँस में तेरा नाम बसा है,
पर लबों से उसे दोहरा नहीं सकती।

काश तू समझ पाता मेरी खामोशी,
जो आँखें कहती हैं, पर सुना नहीं सकती।

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