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दिल की जुस्तजू

दिल की जुस्तजू है, एक दिन तुझको पाऊँ, इस अंबर से भी आगे, तुझको लेकर जाऊँ। तेरी रौशनी में मेरा जहाँ रोशन हो, तेरी बाहों में सारा आलम मगन हो। हर मंज़िल से आगे, हर सरहद के पार, बस तेरा साथ हो, तेरा प्यार बेशुमार। ख़्वाबों की हद से, हकीकत में आऊँ, एक दिन तुझे पाकर, तुझमें ही समाऊँ।

अधूरी हसरत

बड़ी हसरत थी तेरे संग ज़िंदगी बिताने की, हर लम्हा तुझे अपना बनाने की। तेरे साथ हँसने, तेरे साथ रोने की, तेरी बाहों में सुकून से सोने की। मगर तक़दीर को यह मंज़ूर ना था, हमसफ़र तुझे बनाने का हक़ मुझे ना था। अब बस तेरी यादों का सहारा है, एक अधूरी मोहब्बत का किनारा है।

बेबसी का आलम

मेरी बेबसी का आलम ऐसा है, चाहती हूँ तुझसे, पर जता नहीं सकती। तेरे बिना जीना कितना मुश्किल है, यह दर्द भी तुझे बता नहीं सकती। हर साँस में तेरा नाम बसा है, पर लबों से उसे दोहरा नहीं सकती। काश तू समझ पाता मेरी खामोशी, जो आँखें कहती हैं, पर सुना नहीं सकती।

बेवफ़ाई की हद तक

तू सितम कर, तेरी जिद जहाँ तक है, मैं सहूँगी तेरा दर्द सारा, मेरी जान जहाँ तक है। न कोई गिला, न कोई शिकायत तुझसे, बस मोहब्बत निभाऊँगी, मेरी साँस जहाँ तक है। तेरी बेरुख़ी को भी अपना मुकद्दर माना, हर ज़ख़्म सहा, तेरा इख़्तियार जहाँ तक है। शिकवा नहीं तेरा यूँ छोड़ जाने का, बस ग़म है, कि मैं ज़िंदा रही, मेरी शाम जहाँ तक है।

मोहब्बत या ज़रूरत

मैंने चाहा तुझे, यह मेरी चाहत थी, तूने चाहा मुझे, तेरी ज़रूरत थी। मैंने देखा तुझमें इक हसीं ख्वाब था, तेरी आँखों में बस एक राहत थी। मैंने दिल में तेरा ही अफसाना लिखा, तूने लफ्ज़ों में मेरी हिकायत थी। मैंने दर्द भी तेरा अपना समझा, तूने याद भी मेरी आदत थी। अब फ़ासले हैं, कोई शिकवा नहीं, मेरी चाहत तो थी, पर तेरी हसरत थी।